शब्द रहस्य -३-जल
जी साहब और साहिबा जी, आज का मेरा शब्द, जल.
जल के बिना जीवन सूना, कवि ने लिखा था जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली। पृथ्वी का दो तिहाई अंश जल है, लेकिन फिर भी पीने योग्य जल तो कम है।
जल प्यास बुझाता है। और अगर जो जल मेरे पीने के लिए रखा है, प्यास भी लगी है, वो कोई और पी जाय तो दिल जल कर रह जाता है, न आग, न धुआं।
गर्मी ज़्यादा हो तो सूरज जलाता है, और हम जल में डुबकी लगा कर ठन्डे हो लेते हैं।
कहीं चोट लगती है, तो ठंडा जल, कहीं बिना चोट के दर्द हो, तो उष्ण जल का प्रयोग।
कोई जल नेति कर स्वस्थ रहते हैं, कोई राजनीतिज्ञ जल की नीतिओं का हेर फेर कर उलट फेर करते हैं।
बिजली से अगर आग लग जाय तो जल मत डालिये, लेकिन जल से बनती बिजली सबसे सस्ती बिजली होती है।
अगर चमड़ी जल जाय, तो ठंडा जल डालते रहिए, जब तक जलन ना मिटे।
पृथिवी का अधिकांश जल है, सागर महासागर अथाह है, पर नमकीन है। आंखो से बहने वाला जल भी नमकीन है।
सृष्टि का आरंभ जल से ही हुआ, अंत भी जलमग्न होगा।
उससे पहले, आइए जल बचाएं, क्योंकि जल ही जीवन है।
अनुप मुखर्जी "सागर"
जल, प्रयोग तो हर कोई करता है विभिन्न अर्थों में पर सभी अर्थों का इस तरह समायोजन पहली बार पढ़ने की मिला। धन्यवाद।
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