पंछी की मौत

पंछीकी मौत

रचना ८ मई २०१९ 


पंछी एक, जन्म लिया, 
कंठ में जन्मा सुर, मिला मधुर संगीत। 

होंठो में गूंजा संगीत, 
पंखो ने ली शक्ति 
तैरने की आसमान में, 
नज़र भर कर देखी उसने, 
पृथ्वी, सुन्दर, मोहक पृथ्वी।

साथ ही देखी, एक
निष्ठुर, ज्वलंत पृथ्वी। 

ऊपर उसने देखा, ईश्वर का प्रसार 
सुन्दर नील आसमान, पर्वत, 
प्रकृति, उसके अनेक रूप, 
नहीं कुछ भी वहां कुरूप। 

नीचे  देखा, केवल हाहाकार,
हिंस्र हिंसा, प्रतियोगिता, 
केवल जीतने का युद्ध,
मारने को तैयार, केवल मार। 

छोटी पंछी, कंठ में मधुर गीत, 
भुवन में गीत फ़ैलाने को आतुर, 
प्राणों को संचारित करने को आतुर, 
सोचा उसने, केवल गाऊँगी।

फैलाउंगी संगीत इस जगत में, 
भुलाउंगी मानव मन संगीत में, 
मिटाऊँगी उसके मन की हिंसा, 
उसका रोष, उसकी प्रतिहिंसा। 

प्राणों को पूर्ण करता गीत, 
जगत को मोहित करता गीत, 
प्रकृति का वो गीत, 
ईश्वर का वो संगीत। 

हाय  ये मनुष्य, यह  पृथ्वी,
सहन न हुआ उसको, 
पंछी का यह गीत,
मधुर, मदिर वह संगीत। 

एक अदने से पंछी का  दुस्साहस !
वो मिटाएगा हिंसा  दाग?
एक छोटे से पक्षी का इतना दुस्साहस, 
सिर्फ अपने संगीत से, बुझाएगा हिंसा की आग ?

असहनीय, असीम दुस्साहस !

जल उठा दावानल, 
भभक उठी आग,
लपक उठी अग्नि शिखा, 
आकाश की ओर। 

ग्रास करने उस पंछी को, 
बंध करने उस गीत को,
भस्म करने अपने ताप से.
भस्मित किया उत्ताप से। 

गीत का अंतिम शब्द 
खो गया आसमान में 
केवल एक चाहत रह गयी गूंजती,
एक बूँद पानी, यही आखरी बूँद। 


सिर्फ थोड़ा सा पानी, एक बूँद पानी,
नहीं, प्यास मिटाने को नहीं,
ना ही कोई इच्छा मिटाने को, 
सिर्फ अपनी राख धोने को, 
सिर्फ अपना निशान मिटाने को। 

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4 comments:

  1. संवेदना और पर्यावरण संरक्षण का अद्भुत मिश्रण।
    अति सुंदर रचना

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  2. धन्यवाद विनोद जी। आपके बहुमूल्य शब्द मेरी धरोहर है

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  3. Very nice, the depth of feeling is disclosed in the words. The global environment or social environment, both are corrupted. And the wordings of poet captures both. Good work brother.

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