अब नहीं तीसरा गाल
"उसने मुझे गाल पर चांटा मारा, मैं क्या करुँ?"
किसीने कहा, "दूसरा गाल आगे कर दो।"
"दूसरे गाल पर चांटा मारा
अब क्या करूँ ?"
...
पहला फिर आगे कर दो
हाथ मत उठाओ
सिर्फ चांटा खाते जाओ
एक, एक, और एक, एक और।
एक गाल, फिर दूसरा,
किसीने कहा, "दूसरा गाल आगे कर दो।"
"दूसरे गाल पर चांटा मारा
अब क्या करूँ ?"
...
पहला फिर आगे कर दो
हाथ मत उठाओ
सिर्फ चांटा खाते जाओ
एक, एक, और एक, एक और।
एक गाल, फिर दूसरा,
फिर पहला, फिर दूसरा,
पर नहीं है मेरे पास,
पर नहीं है मेरे पास,
अब देखो वो तीसरा गाल।
चौथे पाँचवे से पहले
चौथे पाँचवे से पहले
चाहिए तुम्हे वो तीसरा गाल।
वर्जन किया मैंने अब
वर्जन किया मैंने अब
मेरा वो तीसरा गाल।
समय की मार ने मुझको
समय की मार ने मुझको
बहुत किया अपमानित।
जो भी था मेरे पास,
जो भी था मेरे पास,
अतिसामान्य अतिकिञ्चित।
सहपथिक के साथ जो था साँझा
हर्षित! मैं हुआ, हुआ सहपथिक भी।
निकल चला मैं अपने पथ पर
उस हर्ष को मन में बसाये।
पर मेरा जो सांझा करना
हुआ सहपथिक का अधिकार।
और मेरी सामयिक असमर्थता,
मेरा एक अक्षम्य अपराध।
चिन्हित हुआ अपराधी मैं,
सहपथिक के साथ जो था साँझा
हर्षित! मैं हुआ, हुआ सहपथिक भी।
निकल चला मैं अपने पथ पर
उस हर्ष को मन में बसाये।
पर मेरा जो सांझा करना
हुआ सहपथिक का अधिकार।
और मेरी सामयिक असमर्थता,
मेरा एक अक्षम्य अपराध।
चिन्हित हुआ अपराधी मैं,
हुआ दण्डित,
पहले एक चांटा, फिर दूसरा।
एक गाल, फिर दूसरा गाल,
एक गाल, फिर दूसरा गाल,
फिर एक, और एक, एक और।
तीसरा गाल अब और नहीं,
तीसरा गाल अब और नहीं,
तीसरा चांटा भी अब और नहीं।
लोहा पिघला कर कवच बना
उसकी खोज अब और नहीं
तीसरा गाल अब और नहीं।
पथ तो अभी भी है,
तीसरा गाल अब और नहीं।
पथ तो अभी भी है,
है पथ की यात्रा भी
और है साथ मेरे,
और है साथ मेरे,
मेरा वह सह पथिक भी।
लेकिन नहीं है पास मेरे,
लेकिन नहीं है पास मेरे,
तीसरा जो मेरा वो गाल।
हाथ अगर अब उठा किसी का,
हाथ अगर अब उठा किसी का,
न उठ सकेगा अब दूसरी बार।
दोनों गाल तो मेरे अब
दोनों गाल तो मेरे अब
वो जो हो गए वज्र समान।
आहत तुम करना चाहो मुझे
आहत तुम करना चाहो मुझे
देखो शंकित हाथ तुम्हारा
आहत होना अब उसकी नियति।
रोक लो अब हाथ तुम्हारा,
रोक लो अब हाथ तुम्हारा,
अटूट वज्र अब यह मेरा गाल।
नहीं रहेगा अब तीसरा गाल।
नहीं मिलेगा अब तीसरा गाल।
28/07/2017
नहीं रहेगा अब तीसरा गाल।
नहीं मिलेगा अब तीसरा गाल।
अतुलनीय,एक नई सोच का शुभारंभ किया है।
ReplyDeleteBahut Sunder new thought
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