इतिहास के पांच सबक

  


जी, आप इतिहास के सबक के बारे में बात करना चाहते है, तो मैंने जो सबक लिए वो बताना चाहत हूँ। (जी, मैं सबक की ही बात कर रहा हूं, सनक की नही।)

पहला, इतिहास को कहानी की तरह अध्यन कीजिए, याद होगा, समझ भी आएगा। वरना इतिहास बड़ा बोझिल महसूस होगा।

दूसरा सबक, इतिहास पड़ने के लिए साहब इतिहास की कहानियों को अपने आस पास के चरित्रों में ले आईये, या फिर खुद को उन कहानियो में खुद को सोचना शुरू कीजिए, देखिए आप को कितनी जल्दी इतिहास याद होगा। 

तीसरा सबक, इतिहास को रट्टा लगाने के लिए कई कई बार पड़ें, हो सकता हैं अच्छी तरह याद हो जाए ।  

चौथा सबक, इतिहास के नाम पर बनी फिल्म देखिए और फिल्म देखते देखते अपने किताब की सोचिए कि दोनों में फर्क सिर्फ उन्नीस बीस का है या फिर ज़मींन आसमान का । 

पांचवा और आखरी सबक, फिर भी अगर इतिहास याद न कर पाएं, या उसमे नंबर न ला पाएं, तो अपना विषय ही बदल लीजिए। 

अब डाक्टर बाबू ने तो कहा नहीं कि इतिहास नहीं पढ़ेंगे तो भाई फलाना होगा डिमकाना होगा। 

तो कुछ और सहज पढ़ाई कर लो भाई,

 
बाद में इतिहास की फिल्में देख लेना।


अनुप मुखर्जी "सागर"


1 comment:

  1. Yes. History should be read as a story. All the five points are practical; but don't leave history; and yes be with the history. My elder cousin used to say that history was very tough but I didn't understand as to how it could be. It was just equivalent to story reading; but yes, names of Britishers were tough to remember, particularly from examination point of view. Anyway, your points are valid..

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