मैं हवा हूँ

मैं हवा हूँ
(व्यंग)

मैं वायु, यानि हवा हूँ।  क्या आपने मुझे कभी देखा है ? नहीं, किसी ने नहीं ! बहुत तेज बारिश हो तो आपने बारिश की बूंदों को उड़ते देखा।  धूल की  आंधी उठी, तो अपने धूल उड़ते  देखा। कहीं खुशबु और  कहीं बदबू फैली हवा में तो अपने सूंघा, लेकिन मुझे देखा नहीं।  तूफानों में पेड़ गिराते  भी आपने मुझे देखा , और समुद्र की लहरों को ऊंचाई तक उछालते भी मुझे ही देखा , फिर भी आपने मुझे नहीं देखा ! क्या? सही है न ?

आप लोग अक्सर मुझमे बातें करते  है, (हवा में बातें ); कभी कभी मुझमें महल भी बनाते है। कुछ लोग भी हवा हो  जाते हैं , कुछ वादे भी हवा में ही होती है । 

पर मैं आपकी ज़िन्दगी हूँ।  जी हाँ, आप मुझे देख नहीं सकते, लेकिन मैं आपकी ज़िन्दगी हूँ।  मेरे बिना आप कुछ भी नहीं, आप भी यह भली भांति  जानते हैं, लेकिन मानते तब तक नहीं जब तक आपको मेरे लिए धन खर्च न करना पड़े।  आपकी गाड़ी से गन्दा धुंआ निकलता है, आपको कोई फर्क नहीं पड़ता।  आपके पास रुपये पैसे बहुत है, आप एक के बजाय  दो चार  वातानुकूलित  मशीनें खरीद लेते है।  हवा ख़राब होती है, क्या फरक पड़ता है।  फ़ैक्टरी में से गन्दा धुंआ निकलता है, क्या फरक पड़ता है। 

पर  फर्क पड़ने लगा है यारों ! आप जैसा शरीर तो मेरे पास है नहीं, इसलिए मुझे तो फ़र्क  नहीं पड़ता।  वो तो आप लोगो को पड़ता है न ? दमा, खांसी, छींके, फेफड़े की बीमारी, और न जाने क्या क्या, वो सब तो आप ने ही खुद को उपहार दिया है ।  गन्दा मुझे किया, मुझे तो कोई फ़र्क नहीं पड़ा, बीमार आप हो गए।  मैं तो अशरीरी हूँ, मेरा क्या। 

जब आप लोगो को किसी ने हिदायत दी तो आपने वो बातें हवा में उड़ा दी।  मैं बातों को लेकर उड़ गया, फर्क आप को पड़ा। 

जीवाणु और विषाणु आपने फैलाये, उनमे से कुछ हवा में फैलते हैं यह आपको वैज्ञानिकों ने बताया, और आपने उन बातों को हवा  में उड़ा दिया।  छींकने से हवा में बीमारी आप फैलाते  हैं, और दूसरा बीमारी पकड़ता है , पर किसी को दिखाई नहीं देता।  आपको कहा जाता है अपना नाक मुँह ढक कर रखे, आप सुनते  है,समझते  है,लेकिन मानते नहीं।  आप अपने  साथ मास्क, रुमाल, गमछा, कुछ भी लेकर निकलते है, लेकिन उससे कभी अपनी दाढ़ी, होंठ, कभी गला  और कभी बाल ढक  लेते  है,नाक  नहीं।  आखिर आपको न मैं दिखता हूँ, और न ही कोई  विषाणु या जीवाणु। 

मैं हवा हूँ, आप अपनी बातें चाहें हवा में उड़ा दें, पर मैं तो सब कुछ साथ लेकर उड़ता हूँ।  कभी कान लगा कर सुनिएगा ज़नाब, हवा के कण कण में आपको बहुत सी काम की बातें सुनाई देगी।  ज़रा कान लगा कर सुनिए, और जी हाँ, मानिये भी।  बाकि समझदार तो सब हैं, और बहुत है। 

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4 comments:

  1. Very nice comment, very nicely written. The sad fact of the face of people who are not willing to follow any kind of instructions even during this pandemic which has engulfed the entire world

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  2. बहुत गहरी बात आसानी से कह दी। बहुत खूब।

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