हे माता सरस्वती,
स्वीकार करो मेरा नमन।
दिग्दर्शक, विद्या दायिनी
करता हूं तुम्हारा वंदन।
पथ प्रदर्शक, गुरु, तुम्हीं
मेरे ब्रह्मा, विष्णु, महेश,
सब ही तुम माता, विद्या
तुम्हारे बिना, जग भी शेष।
शक्ति, धन, व्यर्थ अहंकार
विद्या, तुम्हारे बिना, सब बेकार।
नमन तुमको, वंदन मेरा,
तुम्ही सहारा, ध्रुव तारा,
वास करो जिव्हा पर मेरी,
निर्देशित करो, चिंताधारा मेरी।
अर्जन करूं असीमित ज्ञान,
चरणों पर तुम्हारे ही केवल,
निकले जो मेरे प्राण।
नमन माता सरस्वती
वंदन माता सरस्वती।
अनूप मुखर्जी "सागर"
ॐ सरस्वतया नमः बहुत सुंदर वंदना।
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