आओ अब एकांत चुनो

आओ अब एकांत चुनो






लहरों का शोर नहीं, 
तुम सागर का शांत सुनो 
कुछ बड़ा करना है अगर
जीवन में तुम एकांत चुनो।

चाहते हो अगर बनना कभी
अपने परायों की चाहत तुम,
सिर्फ अधिकारों की मांग नहीं
कर्तव्यों की राह चुनो तुम।

अगर चाहते ईश्वर आशीर्वाद 
और जीवन में सम्मान तुम,
फलों का जिद-अधिकार नहीं
कर्मों का अग्निपथ चुनो तुम।

अगर मांग तुम्हारी होती दिखे
आकर्षण का केन्द्र बिन्दु बनो,
अंहकार, आत्म तुष्टी त्यागो,
व्यस्कों का सहमर्मी बनो तुम।

नगाड़ों का गूंजता शोर नही
तूती की आवाज़ सुनो तुम,
ऊंचे लहरों का शोर नही,
आत्मा की आवाज सुनो तुम।

अंतर्मन की पुकार सुनो तुम,
खुद का तुम एकांत चुनो,
खुद की शांति खुद चुनो,
अपना एक एकांत चुनो।।

अनुप मुखर्जी "सागर"

6 comments:

  1. Nice collection of words leading to precise and impressive poetry. Carry on dear and churn out more..

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  2. Motivational and excellent composition. Keep it up.

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  3. Very good keep it up 👍

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  4. Every word scripted with golden thought.

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  5. शब्दों का सही उपयोग सही मतलब के साथ l
    बहुत अच्छे l

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  6. बहुत खूबसूरत चयन किया है शब्दों का

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