छुपाकर रखो

  छुपाकर रखो

छुपाकर रखो, अच्छे रहोगे
कुछ चीजें छुपा कर रखो,
तुम सब अच्छे रहोगे
देखो, जानो, समझो, मानो।

हृदय का आघात, रुके हुए अश्रु,
अंतर्मन का भय, मत बताओ सबको।

दोस्त बहुत है, शायद कुछ नहीं,
आंसुओ को शायद सब न पोंछे,
सो सब को मत दिखाओ भाई,
जब ना पूछे, ना दिखे उन्हे आंसु,
दिल की चोट दिल में ही रखो भाई,
कुछ दुख, कुछ चोट, छुपा रखो।


अनुप मुखर्जी "सागर"

2 comments:

  1. Nicely written with use of apt words. You cannot open yourself to everyone. Exceptions are there but they must be recognised beforehand. Beautiful narrative.

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