अप्रैल फूल मत करोना !
लॉक डाउन के परिपेक्ष में लिखी बंगाली कविता का अनुवाद
मैं तुम्हारी गुब्ली हूँ
पहचानो, गलती मत करो न,
घर में बंद हूँ मैं
बाहर जो भूत, करोना।
पहली अप्रैल जब भी आती
तुम मुझे बनाते Fool
सब मिल कर मुझे चिड़ाते
अप्रैल फूल, अप्रैल फूल।
सोचा था इस बार ,
मैं थोड़ी बड़ी हुई हूँ
बंद करुँगी तुम्हारा मजाक,
बनाऊँगी मैं अप्रैल फूल।
भगवान बोले, प्यारी बच्ची
छोटी तुम, शरारत न करना ,
आ गया वो दुष्ट राक्षस,
कोरोना, दुष्ट कोरोना।
तुम सब मेरी बात सुनो
शरारत तुम भी ना करो ,
मेरे साथ घर खेलो,
बाहर तुम लोग जाओ ना।
वहाँ खड़ा दुष्ट राक्षस,
देखो आता सब को खाने
दुष्ट राक्षस कोरोना,
कोई बाहर जाओ ना।
Very timely. With phase 4 of Coronavirus lock down, the poem remains as relevant as it was on the first day.
ReplyDeleteEven after a lapse of one year, it remains relevant and we refused to learn.
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