बड़ेे चलो, बड़े चलो,
राहों में अड़े रहो।
सफलता राह देखे तुम्हारी
वक्र शब्दों में न उलझो।
छाले पैरों के तुम भूलो
मेहनत के झूलों में झूलो।
आंसुओं का गर मोल न समझे
मुस्कानों में तुम डोलो।
जन्म तुम्हारा है विजय पाने को
अग्निपथ है मार्ग, पथ चलने को।
न रुको, ना थमो. चलते रहो, चलते रहो,
मंज़िलें बेताब है, तुम्हे आग़ोश में लेने को।
आशीष देते व्यस्क जन सब,
पाथेय वरदान देता है रब।
जीवन के तूफ़ान, ज्वार सब हराते हुए,
बढ़ते रहो, बेटी, बढ़ते रहो।
४ जनवरी २०२१
Wah khub लिखा है। आशीष बेटी को हमेशा साथ रहेगा।
ReplyDeleteThat's really good one
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