प्यार स्नेह


 प्यार स्नेह


यार यह स्नेह कोई चकोर नहीं,
जो वन में अविरत उड़ता फिरे।।

स्नेह वो नहीं, जो जबरदस्ती मिले,
प्यार वो नहीं, मोल भाव खरीदें,
स्नेह नहीं, जो छीनने निकले जग में,
प्यार नहीं, कि युद्ध में गए जीतने।।

स्नेह नहीं धन व्यय, प्रभावित करने,
प्यार नहीं, अनुचित ज़िद मनवाएं।।

स्नेह वो साथ है, जो साथ खुशी बड़ाए,
प्यार साथ है, जो चहुं ओर हंसाए।।

स्नेह वो, जो हाथ बढ़ाए, हाथ थामे,
और कहे, घबड़ा मत, मैं हूं ना,
प्यार, जब कंधे पर सर रखने दे,
थपथपा कर कहे, बहा दे, पानी यार।।

स्नेह वो, जब दौड़ पड़े प्रार्थना करने,
गर पता चले, वो है किसी दर्द में।।

स्नेह वो नहीं, जो रोते आंसू न देखे,
प्यार वो, जब वो दर्द खुद झेले।।

स्नेह वह जो, बलिदान को तैयार,
प्यार वो, जो अपना सुख बांट दे।।

स्नेह प्यारा है, निर्मल है, शांति है,
प्यार ना घमंड, न घृणा, अहंकार।।

स्नेह मधुर मधुरिमा, शीतल छाया,
प्यार नही मद, मादकता, मदांधता।।

स्नेह सत्य, सहजता, नहीं अधिकार,
प्यार सरल, सफल, बिन मोल भाव।।

स्नेह बांटो, सम्मान, समान, मिले,
प्यार बांटो, व्यापक श्रद्धा स्नेह मिले।।

स्नेह, प्यार, दोनो एक,
संबंध चाहे रक्त का,
या फिर हो सिर्फ मन का,
पवित्रता इसकी सम्पूर्ण, जैसे
पवित्र, ईश्वर की रचना, एक।।


अनुप मुखर्जी "सागर"

3 comments:

  1. वाह क्या बात कर

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  2. Sundar Rachna describing pyar and sneha. Big applauds to the poet. Keep going..

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