छलकने दो
आंखों से आंसू छलक गए,
बूंदों को छलकने दो ना।
बूंदों को छलकने दो ना।
दुखों का बोझ सहा न जाए,
दिल, दिमाग, रास्ते न दिखे
दिल हल्का करने के को
बरसती है, तो बरसने दो,
आखिर नमकीन पानी ही
आंखों को छलकने दो।
बदल उमड़ते, उड़ते, चले जाते,
जल की बूंदे उससे भी छलकती,
बूंदों से ही बादल बनता, पर
जब उसका भी दिल भारी होता,
पानी वहां भी छलकता, बरसता,
बादलों को छलकने दो
बारिश को बरसने दो।
रिश्तों में कोई पुराना, बड़ा,
बातें उसकी पुरानी लगती,
ज्ञान, भावनाओं से सदा भरा
बात करो तो सर्वदा ज्ञान छलकता।
छलकता ज्ञान उसका, छलकने दो,
बातों में कुछ भी मिले, चुनते रहो,
देना कुछ भी नही तुम्हें किशोर,
कुछ भी मिलता, बटोरते रहो,
बड़ों की बातें छलकती, छलकने दो।
दोस्तों की महफिल, कभी कभी,
बैठते पुराने साथी, करते मंथन,
चाय कॉफी के प्याले टकराते,
कभी जाम टकराते, छलकते।
ठहाके दोस्तों के गूंजने दो,
हाथ पकड़, गले मिलने दो,
कभी कभी प्याले गर छलकते,
छलकते हैं तो छलकने दो।
जरा सोचो दोस्तों,
आंखो का पानी अगर सूख गया,
जानो दिल जलकर राख हुआ,
अब सिर्फ चट्टान बन कर रह गया।
बादल से छलकना बंद हुआ पानी
उड़ चला बादल कहीं और, बरसाने,
धरती की उर की ज्वाला धधकती,
प्यासी, जमीन फटती, मानो रेगिस्तान।
रिश्तों में भावनाओं का अंत होता,
ज्ञान, सम्मान, सबका छलकना बंद होता,
रिश्तों की डोर ही तो होती भावनाएं,
ज़िद, कर्तव्य रहित अधिकार का तर्क
बंद अगर करे भावनाओं का छलकना,
कब्र में दफन होती, रिश्तों की भावना।
लगाम अगर लगाता कोई समाज,
दोस्तों की स्वस्थ महफिलों पर,
बंद होते अगर छलकते प्याले,
गूंजते ठहाके, कंधों पर हाथ,
गायब नहीं छलकते प्याले सिर्फ,
खो जायेंगे कुछ कंधे, कुछ हाथ।
जो छलकते हैं, उनको छलकने दो,
जिंदगी है जीने की, खुद जियो,
किसी और को भी जीने दो।
आंसू, पानी, दोस्ती, प्याला,
छलकते हैं, तो छलकने दो।
अनुप मुखर्जी "सागर"
बहुत सुंदर। आखिर छलकती है तो छलकते आंसु अपने साथ दिल का गुबार और दर्द भी साथ ले जाते हैं।
ReplyDeleteAap mahaan hai ca bhee n writer bhee
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