उत्तराधिकार का अधिकार

 



संपत्ति के उत्तराधिकारी
           एक से ज्यादा हो सकते हैं..
लेकिन ...
कर्म के उत्तराधिकारी हम
           स्वयं ही होते है....!!            
हर प्रयत्न में सफलता
           शायद न मिल पाए..
फिर भी...
हर सफलता का कारण
           प्रयत्न ही होता है...!!

घमंड गर उत्तराधिकार का ...
तब ...
मस्तक को थोड़ा
झुकाकर देखिए...
अभिमान मर जाएगा।
आँखों को थोड़ा
भिगो कर देखिए...

पत्थर दिल भी
        पिघल जाएगा
दांतों को थोड़ा आराम
देकर देखिए...
स्वास्थ्य सुधर जाएगा।
जिव्हा पर विराम
        लगाकर देखिए...
कड़वाहट का कारवाँ
          गुज़र जाएगा
इच्छाओं को थोड़ा
घटाकर देखिए...
खुशियों का संसार
   स्पष्ट नज़र आएगा।

   प्रतिध्वनि ध्वनित हो रही
इस धरती पर चहुं ओर
सब कुछ यहां पर वापस
आ जाता ।
"अच्छा" "बुरा" "झूठ" "सच्"
सब, सब, सब कुछ ।

दुनियाँ को आप वही
       देने का प्रयास करें,
और निश्चित ही दिल दिमाग से दें,
   और चित्त अपना शांत रखे,
   उस महा शक्ति पर आस्था रखें,
जो भी आप दुनिया को देंगे,
वही प्रतिध्वनित होकर,
वापस आएगा।
जरूर आयेगा...........

वही केवल होगा उत्तराधिकार,
उसी पर है सबका अधिकार।

अनुप मुखर्जी "सागर"


1 comment:

  1. People just don't want to understand that 'jo boya hai wo hi kaatna padega'..may be immediately or after sometime but everything bounces back. Interesting topic covered in this poetry and very well explained with meticulous use of words. 👍👍

    ReplyDelete

Know Thyself. Only You know yourself through you internal Potency