हाथरस हम शर्मिंदा है
कराहती मेरी सांसे
आहत आत्मा है मेरी
जीवन जंग मैं हार गई
क्या खता है मेरी ।
मुम्बई की अरुणा, या
हैदराबाद की कली
कठुआ की अफसा या
हाथरस की बेटी, या
निर्भया हो या संजना
सब हैं नाजों से पली
दलित गरीब बेजुबान
अबला नारी समझ
बर्बर निर्दय हैवान
कथित पुरुष, शैतान
हाथों इनके मै ही जली
इक बार, हर बार, लगातार।
जुबान मेरी काटी फिर भी
सांसे आक्रंदन कर
दरिंदों का संहार कर
इंसाफ है मांगती
कश्मीर से कन्या कुमारी
ना रुक रहा ये सिलसिला,
पता नहीं कब आएगा
क्रांति का वह ज़लज़ला
मां. बहन, बेटी, पोती,
हूं तो मैं भी, तुम्हारी भी।
तुम्हीं में से कोई जागो,
खड़ग उठाओ, करो शंखनाद
गूंज उठे तुम्हारी युद्धभेरी
खंडित हो यह रक्तबीज।
प्यास मेरी बुझे रक्त से,
श्रृंगार हो राक्षस मुंडमाला
गर रोका नहीं तुमने, यह क्रम
मैं ही बनूंगी, अब ज्वाला।
ख़डग हाथ में ले लो अब
खंडित कर दो शुंभ निशुंभ
आह्वान है चामुंडा तुम्हारा
विराज करो तुम अब मुझमें
लज्जित! बहुत हुई सहन शक्ति
अब चाहूं मारक शक्ति
हे दाता, दे दो मुक्ति,।
....
आहत आत्मा है मेरी
जीवन जंग मैं हार गई
क्या खता है मेरी ।
मुम्बई की अरुणा, या
हैदराबाद की कली
कठुआ की अफसा या
हाथरस की बेटी, या
निर्भया हो या संजना
सब हैं नाजों से पली
दलित गरीब बेजुबान
अबला नारी समझ
बर्बर निर्दय हैवान
कथित पुरुष, शैतान
हाथों इनके मै ही जली
इक बार, हर बार, लगातार।
जुबान मेरी काटी फिर भी
सांसे आक्रंदन कर
दरिंदों का संहार कर
इंसाफ है मांगती
कश्मीर से कन्या कुमारी
ना रुक रहा ये सिलसिला,
पता नहीं कब आएगा
क्रांति का वह ज़लज़ला
मां. बहन, बेटी, पोती,
हूं तो मैं भी, तुम्हारी भी।
तुम्हीं में से कोई जागो,
खड़ग उठाओ, करो शंखनाद
गूंज उठे तुम्हारी युद्धभेरी
खंडित हो यह रक्तबीज।
प्यास मेरी बुझे रक्त से,
श्रृंगार हो राक्षस मुंडमाला
गर रोका नहीं तुमने, यह क्रम
मैं ही बनूंगी, अब ज्वाला।
ख़डग हाथ में ले लो अब
खंडित कर दो शुंभ निशुंभ
आह्वान है चामुंडा तुम्हारा
विराज करो तुम अब मुझमें
लज्जित! बहुत हुई सहन शक्ति
अब चाहूं मारक शक्ति
हे दाता, दे दो मुक्ति,।
....
एक संयुक्त प्रयास स्वप्ना और अनूप का
Bahut hi khubsurat tarika se vyakt kia hua hai!! Heart-touching!!
ReplyDeleteGeneration after generation, girl/women are suffering silently.
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