आज़ादी २०२५





आज़ाद हैं  हम, 
स्वाधीन हैं हम।
बधाई सबको, 
रक्षा करे, सम्मान करे,
गर्व करे, स्वाधीनता मनाएं।

स्वाधीन हैं  हम, स्वाधीन है सब,
स्वाधीन सरकार, स्वाधीन राजतन्त्र,
स्वाधीन संसद, स्वाधीन नगर पालिका,
स्वाधीन पंचायत, स्वाधीन अफसर शाही।

पर जब दिखे पराधीन असंख्य 
मन करता प्रश्न अनन्त, असंख्य।

गगन चुम्बी अट्टालिका के छत पर 
दिखते थिरकते पांव, बहकते होंठ, 
आढ़म्बरी गीत, कर्ण फाड़ संगीत,
टकराते जाम, जैसे जग लिया जीत।

उसी की छांव में, टिन की छतें,
बिलखते बच्चे भूख प्यास से,
बिकते चीर, वक्त खरीद करते,
चीत्कार निकलते, विदीर्ण हृदय से।

स्वाधीन अट्टालिका से गूंजते अट्टहास,
स्वाधीन झोंपड़ी से गूंजती सिसकी भी,
एक पराधीन मद, मुद्रा, मांस के नशे का,
दूजा पराधीन वस्त्र औ' भूख के अभाव का।

गर्वित होते स्वाधीनता से, सफलताओं से
अंतरिक्ष, महासागर, तकनीकि उपलब्धियों से,
लज्जित होते व्यभिचार और रिश्वतखोरों से,
यह तो पराधीन हम, लोगों के कुकर्मो से।

लगानी पड़ेगी आवाज फिर से, उठो जागो, 
स्वाधीनता जन्म सिद्ध अधिकार हमारा,
छीन नहीं सकते तुम हमसे आज़ादी,
नहीं चाहिए तुम जो दे रहे हो, बर्बादी। 

व्यभिचार मुक्त हो देश हमारा,
काम, रोटी, वस्त्र मिले सभी को,
भीख नही, दया भी नहीं, नहीं, 
स्वाधीनता दे दो हमारी, सिर्फ वही।



अनुप मुखर्जी "सागर"






3 comments:

  1. Very delicately described the actual independence. Excellent

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  2. Very well written👏 👍 👌 🙌 the actual facts

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Know Thyself. Only You know yourself through you internal Potency