एक शांति जलूस और निकालो
परसों पत्थर फेंके गए अगले मोहल्ले में
कल आये पत्थर हमारे ही मोहल्ले पर।
परसों घायल हुआ मेरा दोस्त अभिराम शर्मा,
कल घायल हुआ मेरा पड़ोसी अभराम खान।
परसों हाथ तोड़ा गया इक़बाल अंसारी का
कल हड्डियां तोड़ी गयी इक़बाल सिंह की।
परसों उठायी गयी एक बेटी, रुबीना खातून,
कल बेइज़्ज़त की गयी एक बहन, रूबी मिश्रा।
मैं समझ नहीं पा रहा, मैं किसका शोक न करूँ
क्यों न करू, आंसू तो सबके लिए ही निकलते।
शर्मा और खान, दोनों ही मेरे अपने,
सिंह और अंसारी, दोनों ही मेरे साथी।
रुबीना और रूबी, दोनों ही मेरी छात्राएं
खुदा और भगवन, दोनों ही मेरी प्रार्थनाएँ।
शांति जलूस कल निकला, दूसरे मोहल्ले में,
एक जलूस आज निकला, हमारी गली में।
आओ साथिओं, एक जलूस और निकालें
किसी और मोहल्ले में, और गली में।
जहाँ आने वाले कल और परसों होगी आगजनी
जहाँ कल कोई सोचेगा, चलो आज यहाँ दुकान लूटें।
जहाँ आज शायद सिर्फ डर है, टेलीविज़न के ख़बरों का
डर है सिर्फ, उस भयंकर भयवहता को प्रत्यक्ष करने का।
चलो आज एक शांति जलूस निकालें किसी और मुहल्ले में,
न देखे उनकी टोपी या चोटी, न ढूंढे रंग सियासत दारो का ।
सिर्फ देखे इंसानों को, सिर्फ देखे दोस्त, भाई और बहनो को
ना देखे दीवारों पर लिखे नामों को, देखे सिर्फ, इंसानों को।
शांति जलूस सिर्फ सफ़ेद झंडा न हो मेरे भाई,
हो यह जलूस एक चुनौती डंडो , पेट्रोल, और बंदूक को।
जलूस न हो सिर्फ दिलासा किसी एक मोहल्ले को,
जलूस हो एक चुनौती, अंधी, आक्रामक भीड़ को।
जलूस हो एक श्रद्धा सुमन उनको
जिन्होंने जीवन अपना दान किया।
एक नमन उन जवानो को,
बचाया जिन्होंने देश के अस्तित्व को।
जलूस जो पहचानने का दँगाईओ को
जलूस हो पहचानने को उन दोस्ती के दुश्मनो को।
जलूस जो न भूलने का उस 'तमस ' की कहानी को
जलूस जो याद दिलाने का विभाजन की त्रासदी को।
जलूस हो पहचानने को झुनझुने जो हमारे हाथो में
पकड़ाए गए जो रोकने, हमारे प्रश्नो को।
जलूस हो पहचानने का सियासत के ज़मींदारों को,
धर्म, मज़हब, संगत और भक्ति के ठेकेदारों को।
आओ सब जलूस निकाले, अपनी, सबकी रक्षा में
आओ सब जलूस निकाले, शांति और सुरक्षा में।
आओ हम स्तंभित कर दे, अंधी आक्रामक भीड़ को
परिपक़्व व्यक्तित्व, लौह इरादे, रक्षित करे नीड़ को।
पहचाने हम अपनी शक्ति, अपना देश, अपना गर्व
देश है हमारा, हम सब देश के, यही हमारा हो पर्व।
इससे बेहतर भावना की अभिव्यक्ति नहीं हो सकती थी। इसे न्यूजपेपर में पब्लिश करने भेज दो। बहुत खूसूरत।
ReplyDeleteToday's reality
ReplyDeleteBeautifully written
ReplyDeleteAgar hum Sab aisi bhavna rakhein awre drirta sey samna karein to kuch ho sakta hein.bina bhed bhav sey ek jutt hokar. J'ai hind.Jai Bharat.
ReplyDelete