मछली जल की रानी! सच में?
बड़ी मछली अपने से छोटी मछली को हमेशा खा जाती है। यह एकदम छोटी मछलियों से शुरू होकर शार्क और व्हेल पर आकर एक आवर्तन खतम होता है।
फिर मनुष्य भी है। बड़ी मछली छोटी को पेट भरने के लिए खाती है, मनुष्य मछली पकड़ता है खाने के लिए, बेचने के लिए, सजाने के लिए, और बड़ी मछली जैसे व्हेल या शार्क पकड़ा तो कमाई के साथ साथ फोटो खिंचवाने के लिए।
अब मछली जल की रानी है, लेकिन जल में रह कर मगरमच्छ से बैर नहीं किया जाता। यानी की वो रानी तब तक है जब तक कोई बड़ी मछली (या कहूं तो बड़ी रानी) उसको खा न जाय, या मगरमच्छ उससे बैर न ले।
अब इलाके के मगरमच्छ से लड़कर तो उद्योगपति भी उद्योग नहीं चला सकता, चाहे कितना ही व्यवसाय की सहजता के सूचकांक में विकास क्यों न हो। व्यावसाय में तो कई तरह के मगरमच्छ होते है, कभी कभी पहचाने भी नही जाते, विशेष अगर सरकारी लिबास में हो। खैर, जल की मछलियों को इस दुविधा में पड़ने की जरूरत नहीं होती। वो तो मगरमच्छ और घड़ियाल दोनो को पहचान लेते हैं।
फिर सारस, बगुले जैसे पक्षी भी हैं जो मछली पसंद है। यानी रानी बने रहने के लिए इनकी सम्मति भी चाहिए।
तो जनाब पाठक जी, मेरे हिसाब से मछली जल की रानी है लेकिन अपने से बड़ी मछली, मगरमच्छ, घड़ियाल, बगुले, और इंसान, इन सब के सम्मति जब तक हो सिर्फ तब तक।
दूसरों की सम्मति हटी, मछली की जिंदगी घटी।
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