आ धूप, मुझे ले जा

 

आ धूप मुझे ले जा
कुछ उजाला मुझको भी दे।
रोशन करूं एक व्यक्तित्व
उज्ज्वल करूं अंधियारा कोना।




भर दे ज्वाला इतनी मुझमें
साहसिक बनूं अन्याय मिटाने।
पावन कर दे मुझको इतना
राह दिखाऊं भटके पथिक को।
आजा धूप मेरे पास, 
सान्निध्य पाऊं तेरे साथ।


अनूप मुखर्जी "सागर"

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Know Thyself. Only You know yourself through you internal Potency