खामोशी का शोर

 खामोशी का शोर





शोर बहुत मचाया उसने

कभी सब थे उस शोर के,

उसकी आवाज के दीवाने।

कुछ ऐसा पलटा ज़माना,

खो गई आवाज उसकी,

दब गई वो भी, ज़माने के 

शोर से, यंत्रों की यंत्रणा से।


अब सब है खामोश, ध्वनित 

नही होती शब्द तरंगे,

फिर भी लगता है हर मोड़ से,

गूंजती खामोशी, चीखती, 

चीरती हमारे दिलों को, 

ध्वनित होते शब्द उसके, 

खामोश हवाओं में, ओस की 

बूंदों में दिखते बोल उसके,

कहती वो, आह गूंजती दिल की,

भींच लो मुझको, खामोश मैं,

बस एक बार बोलने दो

शोर नही, सिर्फ बोलने दो,

बांध लो आलिंगन में,

भींच लो सीने में, 

एक बार बोलने दो,

बोलने तो दो।

खामोशी, तोड़ने तो दो।


अनूप मुखर्जी "सागर"

2 comments:

  1. ATI sundar...Kalpana... please add one more fan in your valuable fans list

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