आशीर्वाद उत्कर्ष _ आकांक्षा





जो नाव आज उतारी है तुमने 
महासागर में मेरे प्यारे संतानों,
माझी सदा इस नैया का जानो,
वही, जो दुनिया का माझी, मानो।।

बहती लहरों का उतार चढ़ाव,
दुनियादारी के सभी पड़ाव
जीवन की नैया खेते जाना, 
बुजुर्गों का आशीष रखना।।

पर्वत, महासागर, पार करोगे,
मंजिले असीम पार करोगे,
स्नेह, सम्मान, प्यार, फैलाओगे,
जितना बांटोगे, उतना पाओगे।।

न छोड़ना हाथ उनका, जिनका 
विश्वास तुमने पाया, कर्म तुम,
कर्मी तुम, कर्ता सदैव ईश्वर,
यही मान सदा रखना, मानना।।

उत्कृष्ट, उत्कर्ष, उन्नत जीवन धरो,
आशा आकांक्षा, वरदान वर्षित हो,
हे युगल पथिक, पथ सदैव सुगम हो,
विश्वास, आशीर्वाद, सबका साथ हो।।

वरमाला जो आज पहने आज,
हाथ जो थामे परस्पर के आज, 
सुखद, संपन्न, सहर्ष, पहनो ताज,
सम्पूर्ण हो आकांक्षा, उत्कर्ष सब काज।।



अनुप मुखर्जी "सागर"






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Know Thyself. Only You know yourself through you internal Potency