क्षितिज
सूर्यास्त या फिर सूर्य उदय,
गोधूलि लग्न या फिर प्रभात |
या फिर एक रात्रि की सूचना |
नए उजाले का आभास
या एक और अँधेरी भरी रात |
क्षितिज तो देखताआकाश
और धरती का मिलन |
और धरती का मिलन |
क्षितिज तो एक सामान है
चाहे हो विभावरी
या फिर संध्या का सानिध्य |
चाहे हो विभावरी
या फिर संध्या का सानिध्य |
क्षितिज तो जाने
अगर पूर्व में है प्रभात
अगर पूर्व में है प्रभात
तो पश्चिम में गोधूलि लग्न
और अगर पूर्व में गोधूलि
तो प्रभात है पश्चिम में
तो प्रभात है पश्चिम में
मनुष्य तो यूँ ही जलना चाहता है
अपनी चिंता के चिता में
अपनी चिंता के चिता में
जलता रहता है |
चाहे दिन हो या रात |
अनुप मुखर्जी "सागर"
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