तुमसे मिलना अच्छा लगता है।

 


तुमसे मिलना अच्छा लगता है।

जब मैं बाहर से घर आता हूं,
तुम्हारा वो उत्साह से मिलना,
तुम्हारा खुश होना, उछलना, कूदना,
तुमसे मिलना अच्छा लगता है।

कभी मेरा उदास हो जाना,
खुद को अपने में बंद कर लेना,
और तुम्हारा मुझको घर भर में ढूंढना
मुझको पाकर मेरे गालों पर अपना गाल रखना
और फिर मेरी ही गोद में आकर लेट जाना
तुमसे मिलना अच्छा लगता है।

जब भी तुमको हो बाहर जाना,
वो तुम्हारा मेरी चप्पल लेकर आना,
बिना बोले नजरों से मुझे समझाना,
चलो न बाहर घूमते, बिना बोले कहना,
तुमसे मिलना मुझे अच्छा लगता है।

सर्दियों में रात को मेरे बिस्तर में घुसना,
पहले रजाई के ऊपर, फिर अंदर आ जाना,
रजाई गर्म हो जाने पर उसे फेंकना,
कभी मेरे पैरों की पास, मेरी बाहों में आना,
तुमसे मिलना अच्छा लगता है।

अपना गुस्सा, अपना प्यार,
अपनी भूख, अपना लाड़,
सब कुछ सिर्फ भावों से जताना,
चेहरा, आंखे और कानों का इस्तेमाल,
साथ ही मजबूत पूंछ का उत्साह में हिलना,
गले से अलग आवाजे निकालना,
उन ध्वनियों से मुझसे बातें करना,
खुद को पूरी तरह मुझको समर्पित करना,
इंसान के सबसे अच्छे दोस्त बनना,
मुझे तुमसे मिलना बहुत अच्छा लगता है।

न तुम मां, न तुम बाप, न संतान, न कुटुंब,
न तुम सहपाठी, न तुम सहकर्मी,
लेकिन तुम हो मेरे दोस्त, मेरे हमदर्द,
मेरे दुःख सुख के सब भेद तुम्हारे,
कोई न पड़ पाया कभी मेरे वो पन्ने,
तुम ही हो मेरे साथ, मेरे दोस्त प्यारे,
तुम हो तो सब कुछ अच्छा लगता है।

तुमसे मिलना बहुत अच्छा लगता है।


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