हे कृष्ण, हे गोपाल,
हे गोविन्द, हे गिरिधर,
हे कुंज बिहारी,
नंद के माखन चोर,
कालीय दमन के नायक।
मथुरा के त्राता,
राधा के माधव,
सुदर्शन चक्र धारी,
पांचजन्य शंख अधिकारी,
अर्जुन के सारथी,
द्रौपदी के सखा।
युधिष्ठिर के भ्राता,
यशोदा के लल्ला,
शिशुपाल के संहारक,
भक्तों के रक्षक,
द्वापर के अन्यतम सितारे,
दुनिया को तुम हो प्यारे।
अजन्मे तुम विष्णु,
नंद में जन्मे तुम कान्हा,
दुनिया के पालक विष्णु,
मृत्यु में शरीर भी त्यागा।
सोलह कला सम्पूर्ण तुम
भागवत गीता के वाचक तुम
हम सब के दुलारे तुम
साहस तुम, दिग्दर्शक तुम
धर्म युद्ध ज्ञान दिया अर्जुन को
अधर्म नाश की दिशा दिखाई
आज फिर वही ज्ञान दो
व्यथित द्रौपदी, सीता, सुभद्रा आज,
तारण करो सब का,
दे दो उन्हें भी अस्त्र ज्ञान।
अब और देर न करो श्याम,
अवतरित हो अब तो,
करो कल्याण,
दो वरदान।
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