बचपन में स्कूल में शुरुआत
ताकते थे रविवार की तरफ सदा
सोमवार से ही करते इंतज़ार ।
सप्ताह शुरू भी न हो पाता
सप्ताहांत की सब देखते बाट।
देखो ये भी साल देखा जीवन ने
रहा सबको घर से निकलने
बाहर की हवा लेने का,
दोस्तों, रिश्तेदारों से मिलने का
सबको रहा इंतज़ार।
मार्च से हो गया दिसंबर
नौ महीने का हुआ अब इंतजार।
आखरी रविवार 2020 का गया,
दिखाएं राह 2021 के दिन अब
ईश्वर का आशीर्वाद, दया, ममता,
भागी बने, खुश रहे आप, हम, सब।
चाय के प्याले चलते रहेंगे
मधुशाला में जाम छलकते रहेंगे।
कुछ प्याले कुछ जाम खाली रहेंगे
कुछ टूटेंगे, कुछ वापस भरेंगे।
चले नई चाय, नया जाम भरे
2020 तो खाली निकाल गया
2021 को मिल कर स्वागत करें
ईश्वर रखे स्वस्थ और खुश आपको
भरा पूरा साल 2021 रहे आपका।
अनूप मुखर्जी
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